
लालू चाहे जितनी भी शेखी बघारे लेकिन रेल की हकीकत कुछ और ही है, मैं यहाँ पर लालू की रेल तरक्की का नमूना आप लोगों को भी बताना चाहूँगा...........
लालू ने जितनी भी नई रेल चलाई है उनमे बिहार के लिए सबसे ज्यादा ट्रेन चलाई गई! केवल कुछ एक्सप्रेस गाड़ियों को छोड़कर कोई भी गाड़ी समय पर नही चलती, सबसे ज्यादा महत्व राजधानी एक्सप्रेस और माल गाड़ियों का है, लोकल यात्री की कोई अहमियत नही रह गई है! लोग सुबह-सुबह ऑफिस के लिए निकलते है एक घंटे का रास्ता तय करने मैं दो से ढाई घंटे लगते है, लेट होने के कारन कितनो को नौकरी से ही हाथ धोना पड़ता है, कारन - लोकल ट्रेन को साइड मैं खड़ी करके राजधानी को निकल जाता है, अगर उससे पहले कोई मालगाडी है तो उसको निकलते है, लालू की रेल मैं बेचारे आम यात्री की दुर्गति हो रही है....... एक-एक कोच मैं सैंकडों यात्री होते है, ऐसा महसूस होता है ये यात्री नही जानवर हैं जिनको जबरदस्ती ठूंस-ठूंस कर भरा गया है, इतनी भीड़ जो जहाँ खड़ा हो गया स्टेशन आने से पहले वो उस जगह से हिल भी नही पाता, भीड़ ही इतनी होती है....................... अफ़सोस - एक तरफ़ बुल्लेट ट्रेन चलने का सपना दूसरी तरफ़ आम यात्री की इतनी बुरी हालत........... अगर ये ही हालत रहे तो ट्रेन केवल अमीर लोगों के लिए ही अच्छी होगी, आम आदमी के लिए नही..........

2 टिप्पणियां:
bhai aapne to rail me pail dikha di ab laalooji ke apne ghar me itni bheed hai to unki rail is se alag kaise ho sakti hai
App ka lekh achha laga. Kyonki aapki email ya contact info nahi hai, isliye yeh sandesh bhej raha hui.
Pl see this blog: www.mifindia.org
pl drop me a line at pedia333@gmail.com so that I could communicate with you.
Dhanyavaad
Dr Munish
एक टिप्पणी भेजें